सामान्य विधुत से परिचय

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सामान्य विधुत से परिचय
Ø  पदार्थ के प्रकार तीन रूपों में पाया जाता है :- 1.ठोस 2. द्रव 3. गैस
1.      ठोस : - जिसका निशिचत भार व निशिचत आयतन व आकार होता है ! जैसे – P.V.C. ,पोर्सलीन , बैकेलाईट
2.      द्रव : - वह प्रदार्थ जिसका भार हो स्थान को घेरता हो परन्तु आकार अनिशिचत हो व द्रव कहलाता है !
3.      गैस : - जिसका निशिचत भार होता है आकार व आयतन नही होता है !
Ø  अणु : - प्रथ्वी का सबसे भारी कण अणु केव रूप में पाया जाता है अणु परमाणु के सयोग से बनता है !
Ø  परमाणु : - परमाणु अणु के भाग है !
Ø  परमाणु के तीन भाग होते है : - 1. प्रोटोन 2. इलेक्ट्रोन       3. न्युट्रोन                                                                        1.प्रोटोन : - परमाणु का सबसे भारी कण
v  प्रोटोन पर आवेश : - धनात्मक
v  मान : - +1.6×10 -19कुलाम
v  आविष्कार :- गोल्ड स्टीव
v  वजन : - 1.672×10 -27Kg
2.इलेक्ट्रोन : - सबसे हल्का कण होता है !
v  इलेक्ट्रोन पर आवेश : - ऋणात्मक
v  मान : - - 1.6×10 -19 कुलाम
v  आविष्कारक : - जे.जे.थामसन (1897)
3.न्युट्रोन  : - इस पर कोई आवेश नही होता है यह आवेश रहित होता है , उदासीन भाग होता है ! इसका भार लगभग प्रोटोन के बराबर होता है !
Ø  इलेक्ट्रोनो की संख्या गणना करने का सूत्र : - 2(n) 2
Note – प्रोटोन इलेक्ट्रोन से 1845 गुणा भारी होता है
Ø  कक्षा का नामाकन : - K,L,M,N,O,P,Q
ü मुक्त इलेक्ट्रोनो के आधार पर चालक कुचालक व अर्दचालक का निर्धारण करना :-
1.       चालक :- जिसके अन्तिम कक्षा में सयोजी इलेक्ट्रोनो की संख्या 1,2,3,5,6,7 होते है तो विधुत के सबसे अच्छे चालक होते है ! जैसे :- 1. चांदी 2.त़ाबा 3. सोना 4.एल्युमिनियम 5. टंगस्टन आदि
2.       अर्द्चालक : - जिसके अन्तिम कक्षा में सयोजी इलेक्ट्रोनो की संख्या  4 हो वे विधुत के अर्द्चालक कहलाते है !   जैसे :- 1.सिलिकोन 2.जर्मेनियम , कार्बन आदि
3.       कुचालक : - जिस परमाणु के अन्तिम कक्षा में सयोंजी इलेक्ट्रोनो की संख्या शून्य हो या आठ हो वे विधुत के कुचालक कहलाते है ! जैसे : - 1.शुष्क वायु 2.अभ्रक 3.एबोनाईट 4.मेकेनाईट
Ø  विधुत करंट या धारा : - किसी चालक में इलेक्ट्रोनो के प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते है ! इलेक्ट्रोनो की प्रवाह दिशा ऋणात्मक से धनात्मक होती है ! (-) से (+)                                                     विधुत धारा की दिशा धनात्मक से ऋणात्मक होती है ! (+) से (-)                                       धारा को एम्पीयर में मापा जाता है ! मापने के लिए अमीटर या एम्पीयर को काम में लाया जाता है !          धारा का प्रतीक : - ( I )  मात्रक : - एम्पीयर                                                      अच्छे अमीटर का प्रतिरोध : - निम्न प्रतिरोध , आदर्श (शुद ) अमीटर : - शून्य प्रतिरोध                     1A=6.28×1018 इलेक्ट्रोन
Ø  अमीटर  : - परिपथ में श्रखला बद (श्रेणी क्रम ) में जोड़ा जाता है !                            
Ø  विधुत धारा का वेग : - 3×10 8मीटर / सेकिण्ड
E = V+Ir
E= विधुत वाहक बल (वोल्ट)
V=विभावन्तर (वोल्ट)
I= धारा (एम्पीयर )
r = आंतरिक प्रतिरोध (ओम्ह)
Ø   E.M.F. इलेक्ट्रो मोटीव फ़ोर्स (विधुत वाहक बल ) : - किसी भी ऊर्जा के स्त्रोत के अंदर उत्पन शक्ति E.M.F कहलाती है जो धारा को चलाने के लिए एक बल प्रदान करता है ! मात्रक : - वोल्ट                                                इसको मापा नही जा सकता इसका आकलन किया जा सकता है !  
Ø  P.D. (पोटेशियल विभावन्तर ) : - किसी ऊर्जा के स्त्रोत के मेन्स या सीरे (टर्मिनल ) पर जो वोल्टेज का अन्तर पाया जाता है विभावन्तर कहलाता है ! विभावन्तर के बीना धारा का प्रवाह संभव नही है उस समय EMF हो सकता है !
विभावन्तर को वोल्ट मीटर के द्वारा मापा जाता है वोल्ट मीटर परिपथ के पार्श्व समांतर क्रम में जोड़ा जाता है !
अच्छे वोल्टमीटर का प्रतिरोध : - उच्च  / आदर्श (शुद) वोल्टमीटर : - अनन्त
Ø  प्रतिरोध : - किसी वेधुतिक परिपथ में धारा के प्रवाह में विरोध उत्पन करता है वह पर्तिरोध कहलाता है !
प्रतीक : - R मात्रक : - ओम्ह
ü  विधुत धारा के प्रकार : - विधुत धारा दो प्रकार की होती है
1.      D.C. (Dirrect current ) दिक् धारा ,रेखीय धारा :-
·         लीकेज करंट अधिक
·         उत्पादन :- 650V
·         D.C को स्टोर किया जा सकता है :- रासायनिक क्रिया द्वारा
·         D.C का कोण :- 180 – 00
·         D.C कोर के अन्दर चलती है
 2.A.C प्रत्यावर्ती धारा
·         उत्पादन :- 33KV
·         लीकेज करट कम
v  D.C. : - विधुत की एसी राशी जिसका मान व् दिशा समय के साथ नही बदलता दिष्ट धारा या D.C. कहलाती है !
NOTE :-  D.C समय के साथ दो बार बदलती है ! शून्य से अधिकतम तक जाती है !
o   वेव के आधार पर तीन प्रकार की होती है !
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v  A.C. : - परन्तु चालक तार के उपरी भाग या त्वचीय (स्किन प्रभाव ) प्रभाव पर चलती है !
v  इसी सभी वेधुतिक चालको को S.W.G. में बनाया जाता है !
      

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